सुबह सवेरे
10 दिसम्बर 2020
महात्मा गांधी
से एक प्रार्थना सभा में यह पूछा गया कि क्या इस्लाम और ईसाई प्रगतिशील धर्म है
जबकि हिन्दू धर्म स्थिर या प्रतिगामी। इस पर गांधी ने कहा कि,”नहीं मुझे किसी धर्म
में स्पष्ट प्रगति देखने को नहीं मिली,अगर संसार के धर्म प्रगतिशील होते तो आज
विश्व जो लड़खड़ा रहा है वह नहीं होता।“ दरअसल धर्म को लेकर क्या दृष्टि होना चाहिए
और इसे दिशा कौन दे,इसे लेकर आधुनिक
समाज अंतर्द्वंद से घिरा नजर आता है और इस विरोधाभास में राजनीतिक हित मानवीय संकट
को व्यापक स्तर तक बढ़ा रहे है। धर्म यदि व्यक्तिगत आस्था तक सीमित है और इसकी
सुरक्षा को लेकर व्यक्तिगत चिंताएं व्यक्ति महसूस करता है तो इससे धार्मिक विद्वेष
बढ्ने की आशंका बनी रहती है। दुनिया के सामने व्यक्तिगत आस्था से उठा यह मानवीय
संकट यूरोप के प्रगतिशील समाज से लेकर भारत,पाकिस्तान,श्रीलंका और अफगानिस्तान जैसे पिछड़े देशों तक दिखाई भी देता है।
संयुक्त राष्ट्र संघ ने 10 दिसम्बर 1948 को मानव अधिकार की सार्वभौम घोषणा अंगीकार कर मानव अस्मिता और सम्मान को सुनिश्चित करने का प्रयास किया था,इसके साथ ही वैश्विक समुदाय से यह अपेक्षा भी की गई थी की वह मानव अधिकारों का पालन व्यवस्था की दृष्टि से भी करेंगे। इस घोषणा में समाहित किया गया की जाति, वर्ण, लिंग, भाषा, धर्म, राजनीतिक या अन्य विचार-प्रणाली, किसी देश या समाज विशेष में जन्म, संपत्ति या किसी अन्य मर्यादा आदि के कारण भेदभाव का विचार न किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, चाहे कोई देश या प्रदेश स्वतंत्र हो, संरक्षित हो, या स्वशासन रहित हो, या परिमित प्रभुसत्ता वाला हो, उस देश या प्रदेश की राजनैतिक क्षेत्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्थिति के आधार पर वहां के निवासियों के प्रति कोई फर्क न रखा जाएगा।”
मानव अधिकारों की गरिमा को लेकर संयुक्त राष्ट्र की अपेक्षाओं के विपरीत समाज,सरकारों और राष्ट्रों में राजनीतिक हितों को लेकर विरोधाभास है,इसके परिणाम दुनिया भर में दिखाई पड़ रहे है। अभिव्यक्ति को लेकर फ्रांसीसी समाज में मत विभिन्नता आई और अंतत: एक धर्मांध नवयुवक द्वारा एक शिक्षक का गला रेत कर हत्या कर दी गई। इसकी प्रतिक्रिया जिस प्रकार से सामने आई वह मानवीय अस्तित्व के लिए संकट पैदा करने वाली है। आरोप था कि टीचर ने अपनी क्लास में पैगंबर मोहम्मद का कार्टून दिखाया था। मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने इस हत्या को न्यायोचित ठहराते हुए कहा की, ‘मुस्लिमों को गुस्सा करने का और लाखों फ्रांसीसी लोगों को मारने का पूरा हक है।’ फ्रांस में पैंगबर मोहम्मद के कार्टून को लेकर छिड़ी बहस के बीच ही नाइस शहर में एक और हमला हुआ। जहां हमलावर ने अल्लाह हू अकबर के नारे लगाते हुए स्थानीय चर्च पर हमला किया, इसमें तीन लोगों की मौत हो गई एक महिला का गला काट कर निर्मम हत्या कर दी गई।
2019
में श्रीलंका में ईस्टर पर एक मुस्लिम अतिवादी संगठन द्वारा भयंकर आतंकवादी हमला
हुआ और इसमे सैंकड़ों लोग मारे गए थे। इसकी कड़ी प्रतिक्रिया वहां के मुसलमानों ने
झेली।
मस्जिदों पर हमले
हुए। मुसलमानों की दुकानों का बहिष्कार किया गया,
इस प्रकार मुसलमानों के प्रति घृणा का वातावरण तैयार हो गया। सोशल
मीडिया पर उन दुकानों और व्यापारों का नाम शेयर किया गया जिनके मालिक मुसलमान थे। लोगों
से यह अपील की गई की वो उनका बॉयकॉट करें। श्रीलंका
में 10 फ़ीसदी आबादी मुसलमानों की है। बौद्ध बाहुल्य इस देश में इससे राजनीतिक तनाव भी बढ़ा। एक प्रभावशाली बौद्ध भिक्षु ने एक मुस्लिम
सरकारी मंत्री और दो प्रांतीय राज्यपालों को हटाए जाने तक उपवास करने की धमकी दी,इसके बाद सभी मुस्लिम मंत्रियों ने इस्तीफ़ा दिया और आठ अन्य
मंत्रियों को भी कैबिनेट से हटा दिया गया।
कुछ चरमपंथियों के हमलों की क़ीमत यहां के उस मुस्लिम समुदाय को चुकानी पड़ी जो हाशिए पर होकर दो जून रोटी की चुनौती से रोज जूझता है।
यहां के मुसलमानों ने कई स्थानों पर श्रीलंका के प्रति अपनी देशभक्ति साबित करने
के लिए अपनी मस्जिदों को गिरा दिया। विकासशील समाज में देश भक्ति को साबित करने के
लिए अपने धार्मिक स्थल को तोड़ने को मजबूर होना शर्मसार करता है।
ब्रिटेन के डर्बी शहर का अर्जन देव गुरुद्वारा सेवा भाव को लेकर विख्यात है। इस साल यह गुरुद्वारा जब लॉकडाउन से प्रभावित लोगों के लिए खाना बनाने मे जुटा था,तब इस पर हमला किया गया। पाकिस्तान और अफगानिस्तान में मंदिरों और गुरुद्वारों पर हमले आम है। लेकिन भारत भी जातीय और धार्मिक विद्वेष से बुरी तरह प्रभावित है। यहां धार्मिक आतंकवाद से ज्यादा एक अलग और कही खतरनाक किस्म का जातीय आतंकवाद है जो मंदिरों में जाने से किसी को रोक देता है और उस पर ईश्वर को अशुद्ध करने का आरोप लगाकर निशाना भी बना देता है,यहां तक की इस कारण कई लोगों को मार भी डाला जाता है।
ऐसी घटनाएँ सभ्य समाज की धार्मिक समझ को कलंकित करती रही है। द्वितीय विश्व युद्द के बाद यह अपेक्षा की गई थी की आधुनिक दुनिया मध्यकालीन धार्मिक द्वंद को पीछे छोड़कर समूची मानव जाति के विकास पर ध्यान देगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं और दुनिया भर में आस्था को अंधविश्वास से तथा धार्मिक हितों को व्यक्तिगत सम्मान से जोड़ने की राजनीतिक विचारधाराएँ बढ़ गई,इसके साथ ही सत्ता प्राप्त करने का इसे साधन भी बना लिया गया। महात्मा गांधी इसे लेकर आशंकित तो थे ही।
गांधी मानवता की रक्षा और विश्व शांति
के ऐसे महान पथ प्रदर्शक है जिनके विचारों और कार्यों में प्रेम,त्याग,सहिष्णुता,शांति,सर्वधर्म
समभाव और सहअस्तित्व के असंख्य संदेश है। इस समय दुनिया भर में जातीय,धर्म और सभ्यताओं का द्वंद बढ़ता जा रहा है ऐसे में गांधी के सार्वभौमिक विचारों पर चलकर आपसी संघर्ष और घृणा को समाप्त किया जा सकता है। असमानता के खिलाफ प्यार से संघर्ष करने और निराश हुए बिना संघर्ष करने की
महात्मा गांधी
की समूची मानव जाति को दिखाई गई राह से दुनिया के कई देशों में सामाजिक न्याय की
स्थापना करने में बड़ी मदद मिली। महात्मा गांधी के लिए
धर्म पथप्रदर्शक था लेकिन वह कभी भेद का कारण नहीं बना। उनका भजन ईश्वर अल्लाह
तेरो नाम,सार्वभौमिक धार्मिक समभाव को प्रतिबिम्बित करता है। दक्षिण अफ्रीका के
फिनिक्स आश्रम में बहुधर्मी प्रार्थना सभाओं का आयोजन कर बापू ने मानवता के
लक्ष्यों को समन्वयकारी तरीके से हासिल करने के संदेश दिए।
उनकी धर्म
को लेकर स्पष्ट दृष्टि रही जिसमें मानवता का कल्याण समाहित है। महात्मा गांधी का
धर्म अहिंसा,शांति,सहिष्णुता और सदाचार से प्रगति को प्राप्त करना चाहता है, उसमें
विद्वेष,अशांति,कटुता और हिंसा का विरोध है। धार्मिक
विद्वेष और कट्टरपंथी ताकतों के प्रभाव से वैश्विक शांति संकट में है,और ऐसे समय
में धर्म के प्रगतिशील होने के दावे पस्त
दिखाई पड़ते है।
गांधी के
सहयोगी विनोबा भावे ने कहा था कि गांधी के विचारों में सदैव ऐसा मनुष्य और समाज
रहा जहां वह करुणा मूलक,साम्य पर आश्रित स्वतंत्र लोक शक्ति के रूप में वह आगे बढ़े।
यदि हम उसके योग्य नहीं बनते तो आज ही नष्ट हो जाने की नौबत है।
दुनिया को
धर्म से ज्यादा गांधी की जरूरत है। अंतत: धर्म का अर्थ सदाचार,शांति,सहिष्णुता और संयम है। गांधी के विचारों में
भटकाव नहीं है जबकि धर्म को लेकर भटकाव फैलाने को राजनीतिक बना दिये गए है। बेहतर
है गांधी को चुने,गांधी को जाने और गांधी को माने,मानव अस्मिता की भी रक्षा होगी और मानव अस्तित्व पर मँडराते संकट भी दूर
होंगे।