असरदार अपराधियों पर नजरिया,राष्ट्रीय सहारा

 

राष्ट्रीय सहारा 13 oct 2021

                 


                                                


मध्यप्रदेश के सागर के रहने वाले सहोदरा और राजू यादव का नाम शायद ही किसी को याद होगा। सहोदरा बाई ने 13 मई 2008 को उसके देवर पप्पू की हत्या का मामला दर्ज कराया था। इसके बाद इस परिवार पर पुलिस और न्याय व्यवस्था का कहर टूट पड़ा। पुलिस ने इस मामले में सहोदरा बाई,उनके पति राजू यादव व रिश्तेदार माधव पर उल्टा हत्या का मामला दर्ज कर जेल भेज दिया। इस दौरान उनके मासूम बच्चें रोते बिलखते रहे और दर दर ठोकरें खाने को मजबूर हो गए। पुलिस की जाँच पर भरोसा करते हुए आरोपियों को निचली अदालत ने उम्र कैद की सजा सुना दी। 13 साल जेल में रहने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस दम्पत्ति को बेगुनाह मानते हुए रिहा करने के आदेश दिए और पुलिस को कड़ी फटकार लगाई। इन 13 सालों में सहोदरा और राजू यादव की एक बेटी और दो बेटों ने मजदूरी करते हुए अपना बचपन बीता दिया। उनकी पढाई छूट गई। लेकिन इन सब के बीच तीनों भाई-बहनों ने मिलकर न्याय के लिए लड़ाई जारी रखी । जिला न्यायालय से लेकर हाईकोर्ट तक वकीलों को फीस दी और सुप्रीम कोर्ट तक गए। इस साल वे अपने निर्दोष मां-बाप को छुड़ाकर लाने में सफल हो गये। हिंदुस्तान में ऐसे हजारों मामलें मिल जायेंगे जहां कई आरोपी लंबी जेल काटने के बाद बेगुनाह करार दिए जाते है। इन सबमें आरोपियों को लेकर समाज का नजरिया बेहद सख्त देखने में आता है। लेकिन जब रसूखदार लोगों पर पुलिस कार्रवाई की बात आती है तो वे गुनाहगार होने के बावजूद आम जन के द्वारा मासूम करार दे दिए जाते है।




दरअसल क्रूज पर ड्रग्स रेव पार्टी में शामिल होना आम आदमी के वश की बात नहीं है,इसमें लाखों रूपये खर्च कर शामिल हुआ जाता है। हाल ही में शाहरुख़ खान के बेटे आर्यन खान और कई रईसजादो को नारकोटिक्स कण्ट्रोल ब्यूरो ने मुंबई से गोवा जा रहे एक क्रूज में छापेमारी कर एक रेव पार्टी का भंडाफोड़ कर गिरफ्तार किया तो इसकी दिलचस्प प्रतिक्रिया देखने को मिली।


कभी हां कभी ना फिल्म में शाहरुख के साथ नजर आ चुकीं सुचित्रा कृष्णमूर्ति ने ट्वीट किया और लिखा कि बॉलीवुड को निशाना बनाने वालों के लिए, फिल्मी सितारों पर सभी एनसीबी छापे याद हैं? हां कुछ नहीं मिला और कुछ भी साबित नहीं हुआ,यह एक तमाशा है। प्रसिद्धि की कीमत। जाहिर है सुचित्रा ने भारत की स्थापित वैधानिक व्यवस्था को चुनौती देने से गुरेज नहीं किया जबकि ऐसी हिमाकत करने पर कई विद्वान,पत्रकार और प्राध्यापक स्थापित वैधानिक व्यवस्था को चुनौती देने के आरोप में जेल में डाल दिए जा चुके है। 


जाने माने अभिनेता सुनील शेट्टी ने आरोपियों का बचाब करते हुए कहा कि,जब एक जगह रेड होती है तो वहां बहुत सारे लोग होते है। ऐसे में हम ये क्यों मान लेते हैं कि बच्चे ने ड्रग्स ही लिया है। उस बच्चे को सांस लेने की जगह देते हैं। जब हमारी इंडस्ट्री में कुछ भी होता है तो मीडिया एकदम से टूट पड़ती है। यह देखा गया है कि मुम्बई की माया नगरी का बर्ताव अपराध को लेकर बेहद लचीला रहा है। 1993 के मुम्बई ब्लास्ट के बाद हथियारों के साथ पकड़े गए संजय दत्त को मासूम कहकर छोड़ने की सार्वजनिक अपील कई बार सामने आई थी।


इन सबके बीच बॉलीवुड की बेहिसाब चमक दमक में अंडरवर्ल्ड की बेतहाशा अवैध कमाई की भूमिका सामने आती रही है और नशे के व्यापार से आने वाला पैसा यहां लगाने के तथ्य भी सामने आये है। ड्रग्स और मादक पदार्थों को लेकर सुरक्षा एजेंसियां पर्दे के पीछे यह स्वीकार करती है कि उनके द्वारा तस्करी का जो मॉल पकड़ा जाता है वह 2 फीसदी भी नहीं होता। साफ़ है कि मादक पदार्थों की तस्करी भारत में बड़ा व्यापार है बल्कि उसका उसका ढांचा इतना मजबूत है कि उसे खत्म किया जाना आसान नहीं है। देश के कई उद्योगपतियों और राजनेताओं को रियल स्टेट और स्टॉक एक्सचेंज में अपना व्यवसाय चलाने के लिए ढेर सारा पैसा चाहिए और उसका सबसे बड़े माध्यम मादक पदार्थों की तस्करी है। जिसमें उद्योगपतियों,राजनेताओं,पुलिस के चुनिंदा आला अधिकारियों और अपराधियों का मजबूत गठजोड़ होता है। नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2 करोड़ लोग अफीम,3 करोड़ से ज्यादा गांजा और पूरे देश में करीब 8.5 लाख लोग ड्रग्स इंजेक्ट करते हैं। भारत में इस समय कैनाबिस से लेकर ट्रामाडोल जैसी नशीले पदार्थों का उपयोग हो रहा है। इस   नशीले कारोबार से जुड़े लोगों की धर पकड का सदैव स्वागत किया जाना चाहिए। फिर चाहे उसका आरोपी कोई भी क्यों हो। 


अन्य देशों में अपराध को लेकर आम नजरिया समानता के पक्ष में खड़ा दिखाई देता है।  चीन की पुलिस ने चीनी-कनाडाई पॉप स्टार क्रिस वू को कथित तौर पर यौन संबंध बनाने के लिए कई बार युवा महिलाओं को धोखा देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया । गायक, अभिनेता, मॉडल और टैलेंट शोज़ के जज के रूप में भी काफी ख़्याति अर्जित करने वाले क्रिस वू की करतूतों को नादानी कहने का साहस किसी ने नहीं दिखाया।  वही मैनचेस्टर सिटी के स्टार फुटबॉलर कायले वॉल्कर और इंग्लिश प्रीमियर लीग की टीम चेल्सी के राइजिंग स्टार कैलम हडसन ओडोई को कोरोना के नियमों को भंग करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था।

कानून का शासन सामाजिक न्याय की भावना पर आधारित होता है। इसी कारण सभी लोग कानून की आज्ञा का पालन करते हैं। जिस राजनीतिक समाज में कानून को उचित महत्व दिया जाता है। वहीं पर कानून के शासन की स्थापना हो जाती है। कानून का शासन अनेक संविधानिक व्यवस्थाओं में महत्वपूर्ण सिद्धान्त के रूप में कार्य करके नागरिक अधिकारों व स्वतंत्रताओं का रक्षक बना हुआ है। भारत में कानून के शासन को लेकर राजनीतिक और सामाजिक रूप से पारदर्शिता और  एक राय की बेहद जरूरत महसूस की जाती रही है।


ब्रिटेन के राजा या रानी को कुछ विशेषाधिकार व उन्मुक्तियां प्राप्त हैं। उस पर कानून की सीमाएं नहीं लगाई जा सकती हैं। विदेशों में भेजे जाने वाले राजदूतों व विदेश विभाग के कर्मचारियों को भी कुछ विशेषाधिकार व उन्मुक्तियां प्राप्त हैं। लेकिन भारतीय समाज का एक बड़ा वर्ग उद्योगपतियों,राजनेताओं या फ़िल्मी कलाकारों को भी ऐसी ही उन्मुक्तियां देने के पक्ष में अक्सर खड़ा हुआ नजर आता है। कानून का पालन सबके लिए बाध्यकारी है,इस बार पर सब अक्सर एक मत होते है लेकिन कानून के पालन को लेकर नजरिये में अक्सर विरोधाभास नजर आता है।


ऐसा माना जाता है कि न्याय की अवधारणा व्यक्ति की उचित या तर्कशील भावना पर आधारित है। जो कुछ व्यक्तियों  की अंतरात्मा को भाता है वह न्यायपूर्ण है और जो उसकी अंतरात्मा को प्रसन्न नहीं करता है,वह उसकी दृष्टि में अन्यायपूर्ण है। भारत जैसे देश में आम जन की दृष्टि न्याय को लेकर तर्कशील होने के साथ मानवीय होने लगे तो निश्चित तौर पर इसका फायदा सहोदरा और राजू यादव जैसे गरीब लोगों को मिलेगा। बहरहाल उद्योगपतियों,राजनेताओं या फ़िल्मी कलाकारों और उनकी संतानों को कानून से ऊपर समझने का तंत्र कम से कम भारत में स्थापित न हो,यह हम सबकी जिम्मेदारी है

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