कसौटी पर है संघवाद, kasouty par hai sanghvad

सुबह सवेरे कसौटी पर है संघवाद डॉ.ब्रह्मदीप अलूने राजनीतिक विश्लेषक चेन्नई में मजदूरी करने वाला हरिया अपनी विकलांग पत्नी को एक लकड़ीनुमा हाथ से खींचने वाली गाड़ी में बिठाता है और भूखा प्यासा बदहवास सा उस गाड़ी को खींचता पैदल चलता जाता है। तमाम परेशानियों से जूझते हुए भी उसकी आँखों में मंजिल पर पहुँचने की ललक है। उसकी मंजिल बहुत दूर है और उसे करीब एक हजार किलोमीटर से ज्यादा का सफर तय करने के बाद मध्यप्रदेश के बालाघाट पहुँचना होगा। हरिया उस तमिलनाडू को पार करता है जिसे सामाजिक न्याय का बड़ा मॉडल माना जाता है। इसके बाद वह कर्नाटक से गुजरता है जिसका बैंगलौर दुनिया की आईटी कंपनी का हब है और भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी का यह प्रतीक माना जाता है। उसे तेलंगाना से भी गुजरना है जो पिछड़े से अगड़े बनने का ख्वाब लिए अलग प्रदेश बना है। इसके बाद हरिया आंध्रप्र